सुमित्रानंदन पंत – परवत प्रदेश के पावस

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सुमित्रानंदन पंत – परवत प्रदेश के पावस
"पर्वत प्रदेश के पावस" सुमित्रानंदन पंत की एक अत्यंत सौंदर्यपूर्ण और भावविह्वल कविता है, जिसमें हिमालय क्षेत्र के वर्षा ऋतु का अद्भुत चित्रण मिलता है।
कवि ने अपनी कोमल कल्पनाशक्ति और प्रकृति प्रेम के माध्यम से घने बादल, हरियाली, गगन, वनों और जलधाराओं का जीवंत वर्णन किया है।
इस कविता में छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएँ—भावनात्मकता, सौंदर्यबोध, प्रकृति के प्रति आत्मीयता, और संगीतात्मकता—स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
पंत जी की भाषा संस्कृतनिष्ठ, परिष्कृत और चित्रात्मक है, जो पाठक के मन में दृश्य उत्पन्न कर देती है।
विद्यार्थी इस कविता के माध्यम से प्रकृति के विविध रूपों, मानव की आंतरिक अनुभूतियों, और काव्य की कलात्मकता को समझ सकते हैं।
यह रचना हिन्दी साहित्य में प्रकृति के चित्रमय वर्णन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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