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मीरा – पद
मीरा – पद
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मीरा बाई भक्ति काल की एक महान संत कवयित्री थीं, जिनके पदों में अनन्य प्रेम, आत्मसमर्पण, और आध्यात्मिक तन्मयता की भावनाएँ गहराई से व्यक्त होती हैं। उनकी रचनाओं में श्रीकृष्ण के प्रति अविचल भक्ति और नारी के आत्मस्वर की अभिव्यक्ति मिलती है। मीरा के पद भावपूर्ण, सरल और संगीतात्मक होते हैं, जो सीधे हृदय से संवाद करते हैं। विद्यार्थी इन पदों के माध्यम से भक्ति रस, लोक-संस्कृति, और नारी चेतना को समझते हैं। प्रसिद्ध पद जैसे “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो”, “माने ना मेरा श्याम ससुरारी” आदि में मीरा की भावविह्वलता और निर्भयता स्पष्ट दिखाई देती है। मीरा का काव्य आत्मा की पुकार है, जो सामाजिक बंधनों को तोड़कर प्रेम और विश्वास की राह पर चलता है। उनके पद विद्यार्थियों को काव्य सौंदर्य और भक्ति भाव का सजीव अनुभव कराते हैं।
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