मैथिलीशरण गुप्त – मानुषीता

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मैथिलीशरण गुप्त – मानुषीता
"मानुषता" मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रेरणात्मक काव्यांश है, जिसमें मानव जीवन के उद्देश्यों, कर्तव्यों और आदर्शों को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।
इस कविता में कवि ने समझाया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है — दूसरों की सेवा करना, करुणा रखना, और मानवता के लिए जीना।
गुप्त जी की भाषा सहज, नैतिक भावों से युक्त और जनमानस को जाग्रत करने वाली होती है।
यह काव्यांश विद्यार्थियों को सहृदयता, सामाजिक उत्तरदायित्व, और चरित्र निर्माण की ओर प्रेरित करता है।
"मानुषता" कविता हमें यह सिखाती है कि केवल जन्म से नहीं, बल्कि आचरण और सेवा से ही कोई व्यक्ति सच्चा "मानव" कहलाता है।
यह रचना राष्ट्रीय चेतना, नैतिक शिक्षा, और संवेदनशीलता के भावों को सुंदर ढंग से उजागर करती है।
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